ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चंदपुरी एमवीसी, वीएसएम (22 नवंबर 1940 – 17 नवंबर 2018) एक वीर चक्र (वीसी) सम्मानित भारतीय सेना के अधिकारी थे। उन्होंने अपनी बहादुरी और साहस के लिए प्रसिद्धि प्राप्त की और उनके योगदान से देश को गर्व महसूस कराया।
कुलदीप सिंह चंदपुरी का जन्म पंजाब, भारत में हुआ था। उन्होंने भारतीय सेना में अपनी सेवा के दौरान वीरता और नेतृत्व का उत्कृष्ट उदाहरण साझा किया।
कुलदीप सिंह चंदपुरी ने 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान जीती गई बतालीयन की कमान संभाली। उनकी निश्चयपूर्वकता, वीरता और संघर्ष ने उन्हें वीर चक्र सम्मान से नवाजा गया।
उन्होंने दुश्मनी के खिलाफ जीवन की सबसे बड़ी लड़ाई में अपनी शौर्यगाथाएं लिखीं। उनकी दृढ़ता, साहस और देशभक्ति ने देश को गर्व महसूस कराया और सेना को प्रेरित किया।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चंदपुरी की वीरता और सेना में उनके योगदान की कहानियां आज भी सेना के जवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनकी शौर्यगाथाएं देशभक्ति, साहस और वीरता के प्रतीक हैं। उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा और उन्हें सम्मानित किया जाएगा।
1971 में, ब्रिगेडियर चंदपुरी को लांछन टापू, पंजाब में पाकिस्तानी फौजियों द्वारा किए गए आक्रमण के दौरान कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात किया गया था। उन्होंने अपनी बहादुरी और निष्ठा से अपने सैन्यबद्धों को संगठित किया और दुश्मन को सफलता से रोका। इस समर्थन और बहादुरी के लिए, उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंग चंदपुरी की शौर्यगाथाओं ने उन्हें देशभक्ति और सेवा के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त कराया। उनका योगदान देश के लिए अविस्मरणीय है और हमेशा हमारे दिलों में रहेगा। उनके शौर्य, साहस और दृढ़ संकल्प को सलाम करते हुए, हमें उनके योगदान को सम्मानित करना चाहिए।